ऋग्वेद में घी का वर्णन
जैसा की हम सब जानते है कि घी, सनातन धर्म के अंतर्गत विशेष स्थान रखता हैं । न केवल यह यज्ञ ,शुभ कर्मों और पंचनमृत मे प्रयोग किया जाता हैं , बल्कि दैनिक जीवन के भोजन मे उपयोग किया जाता है। इसके औषधि रूप का महत्व आयुर्वेद मे भी बताया गया हैं ।
ऋग्वेद के ५८ वे सूक्त में घी का विस्तृत वर्णन किया गया हैं ,इस सूक्त के अनुसार गायों के थनों से दूध की धाराएँ निकलती हैं , इस दूध के स्वाद की तुलना मधु (शहद) से की गयी हैं ।